tag:blogger.com,1999:blog-6019847224206839621.post5441292555183499848..comments2023-10-09T07:06:44.705-07:00Comments on मत सम्मत: 2. प्रेमचंद की याद मेंराजू रंजन प्रसादhttp://www.blogger.com/profile/06383761662659426684noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6019847224206839621.post-82715312305547585152011-03-02T23:17:15.500-08:002011-03-02T23:17:15.500-08:00प्रिय रंजन जी प्रेमचंद निश्चित ही भारत के महानतम स...प्रिय रंजन जी प्रेमचंद निश्चित ही भारत के महानतम साहित्यकार थे। और नामवर सिंह का कहना भी उचित है की सामयिक लेखक वही है जो राजसत्ता के समक्ष चुनौतियाँ खड़ी करदे पर अफसोस यही है की प्रेमचंद के बाद ऐसा कोई न हुआ और न संभावना है। आज साहित्य को वर्गों में बाँट दिया गया है और सभी साहित्यिक राजनीतिक रोटियाँ सेंक रहे है - कोई दलित साहित्यकार है तो कोई स्त्री विमर्श का ठेकेदार। आज हिन्दी साहित्य भी पूंजीवादी महाजनी में फंस गयाहै।Anupam Dixithttps://www.blogger.com/profile/07956766821087716544noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6019847224206839621.post-77115905042377528712010-12-26T22:22:09.497-08:002010-12-26T22:22:09.497-08:00एकदम फुरसत से आज इस ब्लौग के लगभग सारे खत पढ़ डाले ...एकदम फुरसत से आज इस ब्लौग के लगभग सारे खत पढ़ डाले अभी। आपकी प्रतिबद्धता हैरान करती है....<br /><br />नमन!<br /><br />{and please remove this word-verification thing from your comment settings.believe me, it does not help at all, rather it stops your readers from sharing their comments}गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.com