नयी दिल्ली, 28. 8. 2002।
प्रिय राजू,
मैं आज आई. सी. एच. आर. गया तो पता चला कि तुम्हारा चेक 30. 3 को ही भेजा जा चुका है। चेक नं. 557465, तिथि 30.3. 02 है।
अगर तुरंत इसे पता नहीं किया गया तो लैप्स करने का भी दिन नजदीक आ गया है।
यहां आकर पता चला कि न केवल तुम गैरजिम्मेवार हो, बल्कि बहुत बड़ा झूठा भी हो। तुम्हारी कोई चिट्ठी आइसीएचआर में नहीं आई है, सहायक ने मुझे पूरी संचिका दिखा दी।
अब मेंबर सेक्रेटरी के नाम चिट्ठी लिखना होगा, जो शोध-पर्यवेक्षक द्वारा अनुशंसित एवं विभाग द्वारा अग्रसारित होगा। इसके पूर्व कैशियर से मिलकर एक बार पुनः पड़ताल कर लेना होगा।
अशोक
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