पटना-23, तिथि अज्ञात।
प्रिय संपादक जी,
लोक दायरा-2 में मेरी दो कविताऐं (कविताएं) छपी (छपीं), सहृदय धन्यवाद। लोक दायरा 1 और 2 दोनों पढ़ा। कम पृष्ठों की अच्छी पत्रिका पठनिऐं (पठनीय) एवं संग्रहनिऐं (संग्रहनीय) है।
पत्रिका में कुछ नवागन्तुओं (नवागन्तुकों) की कविताऐं (कविताएं) छापी गई (गईं)। जिसमें मुझे भी स्थान मिला। आशा है, लोक दायरा अनियतकालीन पत्रक नियतकालीन पत्रिका बनकर आती (आता) रहे। धन्यवाद!
आपका
मणि भूषण
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