Friday, August 27, 2010

पत्र संख्या-21

मीठापुर, पटना-1.

सेवा में,
आदरणीय,
संपादक महोदय, लोक दायरा!
मैंने आपकी प्रतिष्ठित पत्रिका देखी, देखकर बहुत ही प्रसन्न हुई, बहुत ही नई चिजें (चीजों) को आपने इस पत्रिका में स्थान दिया। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूं। मैं भी थोड़ा बहुत लिख लिया करती हूं। इसलिए मैं सोची की (कि) आपकी पत्रिका में अपनी रचना भेजूंगी। पत्र मिलते ही पत्र लिखने का कृपया कष्ट करेंगे। इसके लिए मैं आपकी आभारी रहूंगी। धन्यवाद सहीत (सहित) आपकी
प्रिति कुमारी
हाउस ऑफ चंद्रकला देवी (रेलवे कार्यरत)
नियर-अर्जुन महतो,
भरतलाल टेन्ट हाउस रोड, ‘मीठापुर’, पटना-1

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