आमगोला, मुजफ्फरपुर, 22.1.92.
भाई राजू जी,
आपका पत्र मिला। आभारी हूँ। पत्र का उत्तर विलंब से दे पा रहा हूँ। कारण, अपनी व्यस्तता, काम, दैनिक पत्र, व घरेलू झंझटें! आपके लिए एक प्रति अपनी पुस्तक की पटना जाकर पारिजात में पं. जी को दे दूँगा। उनसे मिलकर आप वसूल लीजिएगा। इधर दो-बार पटना आया, पर 1 ही दिन हेतु। बड़ी ही व्यस्तता रही।
हाँ, दैनिक हिन्दुस्तान में आपके स्तंभ हेतु हर प्रकार से मदद को तैयार हूँ। आप चाहें तो यहीं आकर साक्षात्कार ले लें, या चाहें तो पत्र द्वारा प्रश्नादि भेज दें। मैं लिखकर भेज दूँगा पत्र द्वारा ही सुविधा भी रहेगी। फुर्सत से लिख पा सकूँगा।
हाँ, इधर आएँ तो जरूर आईएगा।
विशेष शुभ
आपका
आपका पत्र मिला। आभारी हूँ। पत्र का उत्तर विलंब से दे पा रहा हूँ। कारण, अपनी व्यस्तता, काम, दैनिक पत्र, व घरेलू झंझटें! आपके लिए एक प्रति अपनी पुस्तक की पटना जाकर पारिजात में पं. जी को दे दूँगा। उनसे मिलकर आप वसूल लीजिएगा। इधर दो-बार पटना आया, पर 1 ही दिन हेतु। बड़ी ही व्यस्तता रही।
हाँ, दैनिक हिन्दुस्तान में आपके स्तंभ हेतु हर प्रकार से मदद को तैयार हूँ। आप चाहें तो यहीं आकर साक्षात्कार ले लें, या चाहें तो पत्र द्वारा प्रश्नादि भेज दें। मैं लिखकर भेज दूँगा पत्र द्वारा ही सुविधा भी रहेगी। फुर्सत से लिख पा सकूँगा।
हाँ, इधर आएँ तो जरूर आईएगा।
विशेष शुभ
आपका
चन्द्रमोहन प्रधान
22.1.92
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