फारिसलेन, आदमपुर, भागलपुर, 12.12.02।
प्रिय चि. राजू जी,
जीभर आशीश
आपके द्वारा भेंटस्वरूप प्रदत्त ‘‘दायरा’’ को आद्योपान्त पढ़ा। किताब द्वारा आज के घिनौने राजनेता की अच्छी बखिया उघाड़ा गया है। तोता की आत्मकहानी भी प्रेरणादायक लगा। सबसे नामवर सिंह पर जो आलेख है उसमें अनोखे खोज की बात बतायी गयी है और अपने को दिग्गज कहलानेवाले साहित्यिक धाकड़ रामविलास शर्मा पर अच्छा चोट किया गया है। मिला जुलाकर आज के समाजिक उत्पीड़न की कविता ‘‘रूपकुंवर’’, ‘कुतिया’, ‘तीन दिनों की रैली’ काफी रोचक लगी। ‘‘बाबा’’ की मायावती पर जो कविता है वही इस अंक की जान है। शायद बाबा की निगाह मृत्यु-शय्या पर रहते भी उस नेत्री की फुहड़पन को बताने में बड़ी मसकत करनी पड़ी होगी।
अंत में आपके उस प्रयास के लिये और नये साहित्य सृजन पर अपने को संलग्न करने के लिये पुनः धन्यवाद देता हूं।
आपका
बाबूजी
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